साभार: भड़ास4मीडिया
दैनिक भास्कर भागलपुर के मीडियाकर्मियों का प्रबंधन भरपूर उत्पीड़न कर रहा है. मीडिया संस्थान पत्रकारों को कोल्हू का बैल समझती है, आख़िरी सांस बची है, तब तक काम लेते रहो. इंसानियत तो कब की मर चुकी है.
ताजा मामला भागलपुरा का है 27 मई को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पत्रकार विनय वर्मा से इस्तीफा मांगा गया. सीनियर सब एडिटर विनय वर्मा ने अपनी बीमार पुत्री के इलाज तक इस्तीफा देने के लिए मजबूर न करने का अनुरोध किया. साथ ही इस्तीफा मांगे जाने का कारण जानना चाहा.
उन्होंने जबरन इस्तीफा मांगे जाने की शिकायत दैनिक भास्कर के बिहार-झारखंड के संपादक ओम गौड़ से भी कर दी. इसके बाद प्रबंधन ने 20 जून को विनय वर्मा के आफिशियल मेल पर टर्मिनेशन लेटर भेज दिया.
प्रबंधन की संवेदनहीनता का आलम देखिए कि यह कार्रवाई उस समय की गई जब विनय वर्मा की पुत्री मायागंज अस्पताल भागलपुर में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी. वह सहकर्मियों के रक्तदान पर आश्रित थी. इतना कुछ के बावजूद श्री वर्मा कार्यालय जाते रहे. इस अवधि में भी मुजफ्फरपुर के सेटेलाइट संपादक के ईशारे पर डीएनई संतोष रंजन मिश्रा और मतिकांत सिंह ने प्रताड़ना जारी रखी.
इस संकटकाल में बेरोजगार कर दिए गए पत्रकार विनय वर्मा पर सबसे बड़ी मुसीबत अपने बीमार पुत्री के इलाज का है. आर्थिक संकट से जूझते इस इंप्लाई को न सिर्फ खाने-रहने के लाले हैं बल्कि बेटी के इलाज के लिए भी जूझना पड़ रहा है. प्रबंधन की बेरुखी के शिकार श्री वर्मा ने थक हारकर न्याय के लिए उप श्रमायुक्त को आवेदन देकर गुहार लगाई है.
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