कई सारे टीवी चैनलों में काम कर चुके, देश के जाने-माने पत्रकार दंपति अजय झा और पूजा बत्रा का पूरा परिवार कोरोना वायरस के विष से विषाक्त हो गया है। दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। 

अजय झा, बिहार के दरभंगा जिले से ताल्लुक रखते हैं और अभी दिल्ली/नोएडा स्थित अपने घर में ही क्वारंटीन हैं। सोशल मीडिया पर अजय ने अपना एक वीडियो पोस्ट किया है। जिसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया है।

अजय झा की पत्नी पूजा बत्रा भी पत्रकार हैं और वर्तमान में ज़ी न्यूज़ में कार्यरत हैं। दोनों का विवाह वर्ष 2009 में हुआ था और दो बच्चे भी हैं। पूजा लिखती हैं कुछ दिन पहले पापा छोड़ कर चले गए। अब माँ ने मेरे हाथों में दम तोड़ दिया। मैं बचा नहीं पाई आप लोगों को, मुझे माफ करना। हार गई मैं आज। अकेले हो गयी आप लोगों के बिना।  पूजा के माँ-पिता दोनों कोरोना के कारण काल के गाल में समा गए।

अजय झा वीडियो में भी कहते नजर आते हैं कि उनकी पत्नी बुरी तरह टूट गई है और यह उनकी पत्नी की बातों से भी पता चलता है। पूजा मां को याद करते हुए कहती हैं हर बीमारी से लड़ जाऊंगी। बस! एक बार मेरी माँ अपने हाथ का बना खाना खिला दे। तुम्हारे बिना सब बहुत मुश्किल है माँ।


पत्रकारों का दुर्भाग्य देखिए इनको सरकार के स्वास्थ्य विभाग या अन्य किसी सरकारी विभाग से कोई सहायता नहीं मिल पा रही है। बहुत परेशानी में है। पीएम मोदी का पैकेज और सीएम केजरीवाल का हाईटेक व्यवस्था इस पत्रकार के नसीब में नहीं है। संस्थान ने भी हाथ खड़ा कर लिया होगा, इसलिए सोशल मीडिया पर इलाज के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं।

हालांकि, खबर मिलते ही कई सारे खबरनवीस तुरंत सक्रिय हुए और अजय झा को आर्थिक मदद से लेकर डॉक्टर तक की सुविधा पहुंचाई है। ऐसा सोशल मीडिया पर दावा किया गया है। लेकिन हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। 

सोशल मीडिया पर एक बैंक खाता और मोबाइल नंबर भी तेजी से वायरल हो रहा है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह अजय झा का बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर है। Bihar4Media पत्रकार अजय झा से संपर्क करने का प्रयास कर रहा है। बैंक खाता की पुष्टि होते ही हम आप से साझा करेंगे।

Bihar4Media तमाम पत्रकारिता संगठनों से अनुरोध करता है कि "आने वाला समय हम पत्रकारों के लिए और अधिक विकट होने जा रहा है। इस मुश्किल हालात में संस्थान भी हम पत्रकारों की सुध लेने के बजाय नौकरी से निकाल दे रहा है। मदद तो दूर की बला है। ऐसे में हम आपस में ही एक-दुसरे का सहयोग करके सहारा बन सकते हैं। देश भर के पत्रकार संगठनों के सहयोग से राष्ट्रीय पत्रकार कल्याण कोष का गठन किया जाए, ताकि ऐसी हालत में अपने बन्धुओं की मदद की जा सके।

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