आप लोगों को याद होगा कि कुछ दिन पहले इस आयोजन की चर्चा की थी. यह कल है. विनय तरुण अपना साथी था. ठीक वैसा ही पत्रकार था, जैसे पत्रकार आजकल मुजफ्फरपुर में जागरुकता फैलाने के लिये डटे हैं. कोसी की 2008 की बाढ़ में दिन भर मधेपुरा के इलाके में पीड़ितों की मदद करता, रात को भागलपुर लौटकर अखबार की नौकरी. पिछ्ले दस साल से हमलोग देश के अलग अलग शहरों में उसकी याद में जुटते हैं और पत्रकारिता और समाज के मसले पर जानकारों को सुनते हैं.
इस बार हमारे बीच वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर और लेखक चिंतक सोपान जोशी होंगे. साथी ही हम बिहार के कुछ ग्रामीण पत्रकारों से भी उनका अनुभव सुनेंगे.मैं मुजफ्फरपुर की व्यस्तताओं की वजह से आप सबों को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित नहीं कर पा रहा, मगर मुझे लगता है कि इस पोस्ट को ही आप आमंत्रण मान कर चलेंगे. पटना शहर के साथी आप वक़्त निकालेंगे तो अच्छा लगेगा. बिहार के सभी ग्रामीण पत्रकारों को खास आमंत्रण है. वक़्त निकालें और इस आयोजन में पहुंचें. मैं कुछ साथियों को टैग भी कर दे रहा हूं.
साथी विनय तरुण की स्मृति में इस बार का आयोजन दो सत्रों में हैं. पहले सत्र में ग्रामीण पत्रकारों के साथ संवाद है. इस सत्र में वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर का सान्निध्य रहेगा. दूसरा सत्र- गांधी और ग्रामीण पत्रकारिता विषय पर है, जिसमें मुख्य वक्ता- गांधी वादी चिंतक और विचारक सोपान जोशी होंगे.
पुष्यमित्र
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