आपने अक्सर भिखारियों को सड़कों पर, धार्मिक स्थलों के आसपास व अन्य स्थानों पर भीख मांगते देखा होगा. हो सकता है कि आप में से कुछ ने उन्हें झिड़क दिया होगा अथवा कुछ ने उन पर दया दिखाते हुए भीख दे दी होगी. लेकिन, क्या आपको पता है कि इन भिखारियों के पीछे किस तरह का संगठित गिरोह काम कर रहा है. ये लोग न सिर्फ इसे कारोबार की तरह चला रहे है, बल्कि कई बड़े लोग भी इसमें शामिल हैं.
पटना में ऐसे ही लोगों के कारनामों को उजागर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर ‘हिन्दुस्तान’ का रिपोर्टर मनीष मिश्रा जब इनके बीच भिखारी के वेश में पहुंचा तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. चार दिन तक भिखारियों के बीच में शामिल होकर इस नेटवर्क को उजागर करते हुए ‘हिन्दुस्तान’ में मनीष मिश्रा के हवाले से छपी खबर में बताया गया है कि पटना में राजू नाम का व्यक्ति इस गिरोह का सरगना है और वहां भीख मांगने के लिए राजू की अनुमति लेना जरूरी है. यदि किसी ने राजू से पूछे बिना भीख मांगी तो उसे तरह-तरह से प्रताडित किया जाएगा.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यह गिरोह पटना समेत राज्य के पर्यटन स्थलों पर किस तरह से सक्रिय है और कैसे इस धंधे में गरीब और मासूम बच्चों समेत बुजुर्गों का सहारा लिया जाता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भिखारियों को बैठने के लिए बाकायदा जगह ‘आवंटित’ की जाती है और किसी दूसरे को उस स्थान पर नहीं बैठने दिया जाता है. यदि कोई इस तरह की कोशिश भी करता है तो उसे पीटकर वहां से खदेड़ दिया जाता है या फिर अपने साथ गिरोह में मिला लिया जाता है. इसके बदले में भिखारियों को अपने हिस्से की कुछ कमाई इन दबंगों को देनी पड़ती है. इनमें से ज्यादातर भिखारियों को नशे की लत लगा दी जाती है, ताकि वे विरोध न कर सकें. इसके अलावा ये नशे के सौदागर के रूप में भी काम करते हैं. रिपोर्टर की पड़ताल में यह भी खुलासा हुआ है कि इस गोरखधंधे में पुलिस की भी बड़ी भूमिका होती है. इस पड़ताल में एक बात और सामने आई कि हम लोग जिन भिखारियों पर तरस खाकर उन्हें पैसा दे देते हैं, इनमें से कई तो लखपति हैं, लेकिन वे किसी न किसी कारण से इस धंधे को छोड़ना नहीं चाहते हैं.
हिंदुस्तान अखबार के वेबसाइट पर छपी खबर पढ़ने के लिए यह लिंक क्लिक करें - स्मार्ट खुलासा: यहां तो भीख भी मिलती है राजू डॉन की मर्जी से
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