नए मोटर वाहन अधिनियम के लागू होने के बाद देश भर में कई जगहों पट पुलिस-पब्लिक की भिड़ंत की तस्वीरें सामने आई है. लेकिन अगर बिहार के परिपेक्ष में बात किया जाय तो पुलिस-पब्लिक की भिड़ंत मामले में बिहार अव्वल स्थान पर दिख रहा है. गुरुवार को राजधानी की पटना की सड़कों पर इसकी बानगी फिर से देखी गई, इससे पहले भी पटना में चालान के नाम पार एक युवक के साथ पुलिस का व्यवहार सुर्ख़ियों में रहा था. इसके अलावे केंद्र सरकार के मंत्री अश्विनी चौबे की गाड़ी का चालान काटने को लेकर विवाद सामने आये. राजधानी पटना के बाहर की बात करें तो बक्सर में पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने के लिए मिला. 

लेकिन बिहार में ऐसी स्थिति पर न्यूज़ 18 बिहार झारखंड के संपादक का पोस्ट बहुत कुछ बयां करता है. न्यूज़ 18 बिहार झारखंड के संपादक कुमार प्रभाकर ने अपने फेसबुक पर सरकार के इस फैसले पर तंज कसते हुए लिखा है कि 


नया मोटर व्हिकल एक्ट जो लागू हुआ है... ये पुलिस का 8वां वेतन आयोग है. 



एक बड़े मीडिया संस्थान के संपादक के कलम से निकले यह शब्द कहीं ना कहीं लगातार पुलिस-पब्लिक की हो रही भिड़ंत के पीछे के कारणों का काला सच भी बता रही है. भले ही सरकार नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत डिजिटल चालान काटने पर जोर दे रही हो लेकिन जब तक नियमों को ताक पर रखने में सहयोग करने वाली पुलिस के द्वारा सौदेबाजी की अवधारणा जो वर्षों से आम लोगों के भीतर घर चुकी है, उस अवधारणा को खत्म नहीं किया जाएगा तब तक ऐसी खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रहेंगी.






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